है विचाले जिस्म इस तूं पार जावां किस तरहां

है विचाले जिस्म इस तूं पार जावां किस तरहां
इशक़ दी में आबरू दस्सो बचावां किस तरहां

ले लिया बनवास जिसने आप सोचो ज़रा
ओस दे प्रतिन् दी हिन् में आस लावां किस तरहां

दिल करे मजबूर लेकिन दास्ताँ दसां कुवें
राज़-ए-दिल दा बोल के आख़िर सुना वां किस तरहां

डर नही हिन् ग़ैर तूं डर आप तों
अपने ही आप सर इल्ज़ाम लावां किस तरहां

जानवरतय किया परिंदे ख़ैर कंगन बिरख दी
आदमी हथों मगर में रख बचावां किस तरहां