ਸੈਫ਼ਾਲ ਮਲੂਕ

ਮਲਿਕਾ ਦੀ ਮਾਂ ਦੀ ਮੁਦਾਖ਼ਲਤ

माँ मलिका दी सुन्दी आही, शाह-परी दियां गलां
दिल विच फ़िक्र कीतोओसु हिन् में भी, कर्ण हिमायत चलां

हसदी हसदी अंदर आई, कहेवसु शाह-परी नों
है बेटी मन लईं ना मोड़ें, साडी अर्ज़ धरी नों

की होया जय मलिका पिछे, हिक्क वारी मुँह दसें
सर सके मच्छ्া मुर्दे इत्ते, सावन बदली वसें

चरें वछनी मलिका-खातों, फिर तीनों रब मैली
इस शहज़ादे कढी क़ैदों, फाथी जान अकेली

मलिका ने इस क़ैदे अंदर, कल इक़रार पकाए
तेरे नाल मिलाना केतवसु, तां दोईए रुल आए

मलिका ने संग इस दे कीतियां, शर्तां क़िस्म सौगंदां
तां उसने कढ आंदा ओथों, तोड़ अजीहां बंदां

ताहें मुड़ मुड़ तेरे अगे, करे सवाल बतेरे
कुवें ऐस गलों र्ह्-ए-आवे, श्रम ओहदी हथ तेरे

बदरा ताएं कहीं सहेली, मैनों भी माँ मातां
इसां दोहां दी भी ईहा ख़ाहिश, मन धीए सन बाताँ

कदे सवाल ना कीता तेंथीं, इसां दोहां भी अगे
की होया इक गुल मनियनगी, बुरी तीनों क्यों लगे

कहीं मुसाफ़िर राही इस नों, ना लायक़ बेचारा
मिस्र शहर दा नहीं शाहज़ादा, लालां दा बंजारा

बादशाही छिड आया नाहीँ, तेरे कारन बदीसें
एडी अत ना चुंगी धीए, क्यों दीदार ना देसें

घर दर मापे भीनां भाई, तख़्त वलाएत सट के
हाहौ नय्यर समुंद्र ठलहा, लेन इश्क़ दे लटके

बेअंदाज़ जहाज़ रढ़ाईओसु, बाज़ ना आया अश्कों
जुर्म गवाईओसु क़दर घटाईओसु, की फल पाया अश्कों

एशां सुटयां कदां कटीयाँ, कीतियां चूड़ त्रुटियां
तिध पिछे ओह पर्बत कच्छे, वाह दतियायाँ तिध खट्टीयाँ

बाप तेरे थीं बाप ओहदा भी, घट नहीं शाहज़ादा
क्यों अपना मिल पावें धीए, इस थीं बहुत ज़्यादा

लायक़ क़दर तेरे दे कहड़ा, इस थीं होर अचेरा
ओह शाहाँ दा शाह है धीए, हर कोई उसदा चीरा

की होया इज इश्क़ तेरे ने, होला कीता कुख्ों
बाप ओहदे थीं मुंगिया लोढ़ें, वाल ना देवे लिखूँ

हिक्क वारी दीदार दसन थीं, शान करें शर्मा नदी
रब डाढा तक ए धीए, लिखी की कर माँ दी

दे दीदार हिक्क वार शहज़ादे, पाल इक़रार इसाडे
बोलन जोगे ताहिएं होइए, लहन उधार इसाडे

जो इस नाल इसाडे केत्ती, किसे तरहां नहीं मुकदी
तूं हिक्क वारी मुख वखावीं, तां ईहा चिंता चुकदी