ਸੈਫ਼ਾਲ ਮਲੂਕ

ਗ਼ਜ਼ਲ

बुहती उम्र गुज़ारी एवें, यार ना नज़री पेंदे
थोड़े रोज़ जवानी जोबन, दाइम साथी कीं दे

ठंडी वा-ए-सफाए वाली, ख़ुशबूदार वफ़ाइयों
अजय ना आई दिलबर वलों, जिस पर इसें विकेंदे

ओह दिलबर जो हिक्क कुख् उत््ोंम गोला लिए ना मैनों
दोए जहान देवे कोई सानों, उसदा वाल ना देंदे

गाल मवालें चंगा मंदा, जो मैं चाहे बोले
तुर्श जवाब मट्ठे मुना वचों, लज़्ज़त इसें चखेंदे

अपना आप संभालां नाहीँ, मनों वसार सजन नों
अपना हाल ना तकदे मुड़ के, जो इस तरफ़ तकेंदे

जय लिख गालें ताने देवे, नाले मुँह फटकारे
इस थीं चंगा के एसानों, इस संग बात करेंदे

केत्ती किस्म बतेरी वारी, दिल दे रोग ना दससां
जान लबाँ पर रही ना ताक़त, तां हिन् ज़ाहिर पेंदे

मुख प्यादा आब हयाती, इसें मोए तरहाए
जल बिन मछली वांग मुहम्मद, रहीए कचर तपेंदे