ਸੈਫ਼ਾਲ ਮਲੂਕ

ਹਾਲ ਖ਼ੁਦ

जय कुझ लाड प्यार मानवां दिए, के कुझ आख सुनावां
जय इज माँ होंदी रो मर्दी ,के परवाह भिरावां

जय इज माई बाबुल मेरे ,दुनिया उत्ते होंदे
ख़स्ता-हाली वेख् पुत्तर दी ,सुख ना सिंदे रौंदे

हक़ उऩ्हां दा लाल प्यारा, ख़ाक अंदर रुल सुत्ता
दूओजा कंबदा लुकदा फ़र्दा ,जीओं कर पानोल कुत्ता

तरीजे नूओं रब भाग लगाए, लक्ख्াां शुक्र ख़ुदादिए
दलित उम्र इक़बाल इसे दिए ,दिन दिन हवन ज़-ए-यादे

तरले कर कर लद्ध्াे आहे ,ख़ुशियां कर कर पाले
हाए हाए इज नहीं आ तकदे ,मापे जनने वाले

जय में इज टुरां परदेसें ,सिए कोहां दिए जावां
केहड़ा पिच्छ्াों करे दुआएं, रो-रो वांगन मावां

अपने दुख मुहम्मदबख़शा ,जय तूओं फूलन लगों
क़िस्सा हक़ बनेगा इयहू, बैठ सब्र कर अगों

किस नूओं गिन गिन दुख सुनासें, किस नूओं पीड़ा साडी
मुड़ के दस शहज़ादे वाली, रहेआ गुल दूओराडी