ਸੈਫ਼ਾਲ ਮਲੂਕ

ਸ਼ਾਹ ਚੇਨ ਦਾ ਪੈਗ਼ਾਮ

इयहनां गल्लां विच शहज़ादा, होया ज़रा आरामी
होर आए तिरे बंदे कोई, हुए आन सलामी

चुम ज़मीं सिरनेवां कर के, करण लगे ताज़ीमां
सिफ़तां कर कर दीन दुआएं, वांग्र नफ़र कदीमां

बाद इस थीं फिर अर्ज़ गुज़ारण ,आखँ सुन तूओं शाहा
शाह फ़ग़फ़ूओर तेरे विल घुलेआ, उज़्र नहीं कुझ आहा

जो पैग़ाम इस ने फ़रमाए ,तीनोओं इसां सुनाने
खो है बख़्शें जान इसाडी, ख़ू है करें जो भाने

शाह फ़ाफ़ूओर इसाडे लखिया ,रुका ख़ास तुसानूओं
वाचो नज़र मुबारक धर के ,देऊ जवाब इसानूओं

सैफ मलूओक डिठ्ठ्াा पट रुका, आपूं नाल तलब दिए
लखिया बाद शाहाँ दी डोले, चंगा नाल अदब दिए

साक़ी बख़श शराब प्याला, होवे नशा ज़-ए-यादे
वाचां ख़त जवाब सुनावां ,उल्फ़त किरण शहज़ादे