ਸੈਫ਼ਾਲ ਮਲੂਕ

ਨੱਸਣ ਦੀ ਦੀਵਨਤ

शाहज़ादिए हक़ याराँ वचों, पास ज़िंगन दे घुलेआ
जो कुझ मकर फ़रेब पढ़ाया, देन सुनेहा चलया

जा कहनदा उस ज़िंगन ताएं, में घुलेआ शाहज़ादे
कीहोस करो ज़हीर ना सानूओं, आओखे हुए ज़्यादे

जो कुझ ख़ाहिश तेरी होसी, स्वीव में भी मंसां
फ़र्क़ ना करसां हुक्म तेरे विच ,ताबे तेरा बंसां

तीर तबर तलवार कमानां ,दे हथियार इसानूओं
दस दिन होर गुज़ार मिलांगे, तलब शिकार इसानूओं

सुन के ईहा सुनेहा ज़िंगन ,बुहत हुई ख़ूओशहाली
भेज दित्ते हथियार ओहनां दे, होर घुली कुझ डाली

दस भारूओ बाराँ संगे ,कोह के ख़ूओब पकाए
पंज दरियाई मच्छ वडेरे, ओह भी चातलाए

भेजी ईहा मेहमानी करके, सैफ़ मलूओके ताएं
दसां द-ए-नाँ नूओं मिलना कीता ,बैठी चाईं चाईं

सैफ मलूओक शिकार बहाने, छिड गया इस थाणो-ए-ें
टला मुहकम बना के बैठा, ठिल्ला पिया दरिया नवीं

याराँ सुने सवार टलेतय, हो टुरिया शाहज़ादा
क़ैदों रब ख़लासी बख़शी, कर दे शुक्र ज़्यादा

तिरुए दहाड़े टले उत्ते, रुढ़दे गए शताबी
चतहे रोज़ वुढ़ी फिर अगों, होर क़ज़ा वहाबी

आई बाझ ना मुर्दा कोई, जय डिगे उस्मानों
तोड़े विच समुंद्र डुब्बे ,ख़फ़ नईं कुझ जानों

आई दिए दिन बचदा नाहीँ ,जय सपईए भरे
लिख दवा हक़ कुख् ना लगदी, हत्थ्াों बंदी मुहरे

चतहे रोज़ पखेरूओ कोई, उडदा उडदा आया
क़द ओहदा के आख सुनावां, अंत ना जांदा पाया

पंजा मार उस पंखी टला, चाह हुआ विच खड़िया
यार रहे सुभ टले उत्ते, शाहज़ादा मुड़ झड़िया

पानी विच हवाइयों गिरिया, उच्ची जाइयों आया
डुब गया दरिया दिए थल्ले ,रक्ख्াीं बार ख़ुदाया

गत्ते खानदा मर-मर जांदा, पढ़दा नाम अलहि
हिम्मत करदा बाहें तरदा, तारूओ मर्द-ए-सिपाही

ज़ोर आवरी शहज़ादे वाली, गणित्र विच ना आवे
रब दिए पाए भले भलेरे ,किन शमुअर लियावे