ਸੈਫ਼ਾਲ ਮਲੂਕ

ਮਾਂ ਦੀ ਜ਼ਾਰੀ

माई दाई वेख् जुदाई ,आखँ क़हर ख़ुदाई
ईहा के भा-ए-इसाडे आया, तूओं चलियों कत् जाई

हंजूओं बाराँ देन बहाराँ, वांगन मीना फूओहारां
ओसे कोसे जल नहाया, बेटा नाल पिया रां

माँ प्यार देवे मुना उत्ते, हथ फेरे हर पासे
नाल मुहब्बत कंघी फेरे ,रखे ला दिलासे

सर पैरां तक चुम्मेचट्टे,लाहे मेल बदन थीं
ज़ारी कर कर ऑखे बेटा, जाएं नहीं वतन थीं