ਹੀਰ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ

माँ हीर देते लोक किरण चुग़ली

माँ हीर देते लोक किरण चुग़ली
तेरी मिलकेए धियो ख़राब है नी

इसें मासियाँ फूओफयां लुज मोईआं
साडा अंदरूँ जीव कबाब है नी

शम्सुद्दीन क़ाज़ी नित करे मसले
शोख़ धियो दा व्याह सवाब है नी

चाक नाल अकल्यां जान धीयाँ होया
मापियायाँ धुरों जवाब है नी

तेरी धी दा मग़ज़ है बेगमां दा
वेखो चाक ज्यूँ फिरे नवाब है नी

वारिस शाह मुँह उंगलीयां लोक घतन
धियो मुल्की दी पुज ख़राब है नी