अगली गलों मत्था मोड़ां में पिछे विल जावां

ਫ਼ਰਖ਼ ਹੁਮਾਯੂੰ

अगली गलों मत्था मोड़ां में पिछे विल जावां सूरज विलय कुंड कर्रां तय पैर फड़े पृच्छा वां इंद्र-ओ-अंदर गढ़कां खोलां वचो विच कुरलावां उबल पाँ तय जंगल बस्ती साड़ स़्वाह कर जावां मैं तूं में दा हाल ना पुछव में, मैं तूं घबरा वां मैं मैं नों में अपने अंदर लिख वारी दफ़ना वां डोर इशक़ दी ज़ालिम डाढे पीडे कुच नाल सोती ए फुट पुराने विगुण लग पेन जत्थे पेचा पावां रात पूएतय अस्मा नाँ तूं डगन इन हनेरे चुन मुखड़े दी दीदन कर्रां में रातां नों लश्कावां गुम ख़मोशी रात हनेरी विगुण यख़ हवावां जिंदरी साड़ के अपनी फ़र्ख़ लांभव लाटां लावां

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