मैं नफ़रत दी जगह हर ख़त चे तीनों प्यार लिखना है

मैं नफ़रत दी जगह हर ख़त चे तीनों प्यार लिखना है
ख़ुदा जे प्यार दा नाँ है दिलाँ वचकार लिखना है

इबादत वांग मैनों सिमरिया है जिस किसे ने वी
ओहनां दी मेहरबानी है अजय इज़हार लिखना है

जिन्हां ने दिल नहीं तोड़े दिलाँ नों जोड़ या ही है
मुहब्बत दे ओहनां नों असल सर्जन हार लिखना है

बेगाने दर्द नों लखदे उम्र ही बीत गई सारी
फ़साना हड बीती दा किसे दिन यार लिखना है

जो कहनदा होरतय किझ सौ चद्दा है होर ही अंदरूँ
अजीहे आदमी दा दोगला लिखना हुय